2014 के बाद से आबादी में 1 करोड़ की गिरावट
© UNFPA/Mihail Kalarashan यूलिया, कीव में एक युवा माँ हैं, जो अपने छोटे बच्चे के साथ मोलदोवा जा रही हैं. (फ़ाइल) |
संयुक्त राष्ट्र समाचार: शान्ति और सुरक्षा//22 अक्टूबर 2024//(अंतर्राष्ट्रीय स्क्रीन डेस्क)::
संयुक्त राष्ट्र संघ लगातार जंग की हिंसा और इसके परिणामों पर नज़र रखे हुए है। इन वहशत भरे परिणामों को देख कर याद आ रहे हैं जनाब साहिर लुधियानवी साहिब।
किसी समय हमारे जानेमाने शायर साहिर लुधियानवी साहिब ने कहा था--
जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है!
जंग क्या मसअलों का हल देगी!
आग और ख़ून आज बख़्शेगी!
भूक और एहतियाज कल देगी!
इस लिए ऐ शरीफ़ इंसानों!
जंग टलती रहे तो बेहतर है!
आप और हम सभी के आँगन में!
शम' जलती रहे तो बेहतर है ..!
इसके बावजूद दुनिया पर युद्ध का उन्माद छाया हुआ है। एक पागलपन जारी है। कोई देश--कोई विचारधारा इसे रोक नहीं पा रही। यूक्रेन से कुछ ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जो नज़र आने वाली तबाही से भी बहुत ज़्यादा गंभीर हैं। इन खबरों ने जो जो कुछ बताया है वह बेहद गंभीर है। इसकी गंभीरता का पता पता शायद दुनिया को बहुत ही देर से लगे। तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।
वास्तव में यूक्रेन, जनसांख्यिकी संकट की चपेट में आ चुका है। सन 2014 के बाद से आबादी में 1 करोड़ की गिरावट आई है। यूक्रेन पर और अन्य देशों पर कैसे कैसे और प्रभाव पड़े हैं इनका पता चलना अभी बाकी है।
यूलिया, कीव में एक युवा मां देखी गई हैं, जो अपने छोटे बच्चे के साथ मोलदोवा जा रही हैं। इसकी तस्वीर इस पोस्ट के साथ भी दी गई है। आप वहां महिलाओं की बेबसी और स्थिति का कुछ अनुमान तो लगा ही सकते हैं।
इस समय सचमुच यूक्रेन एक बहुत बड़े जनसांख्यिकी संकट से जूझ रहा है। यहां बच्चों की जन्म दर पहले से ही ढलान पर थी, मगर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के बाद से यह स्थिति और भी चिन्ताजनक रूप धारण करती जा रही है। यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) ने मंगलवार को अपने एक विश्लेषण में यह गंभीर चेतावनी दी है।
युद्ध के कारण यूक्रेनी नागरिक अन्य देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं, प्रजनन दर घट रही है और लड़ाई में लोग हताहत हो रहे हैं। पहले वर्ष 2014 और फिर 2022 में रूसी आक्रमण के बाद से जनसांख्यिकी सम्बन्धी रुझान बद से बदतर हुए हैं।
वर्ष 2014 में रूसी आक्रमण के बाद से अब तक, यूक्रेनी आबादी में कुल एक करोड़ की गिरावट दर्ज की गई है, जिसमें से क़रीब 80 लाख 2022 के बाद विस्थापित हुए हैं।
यूक्रेन से अन्य देशों में शरण लेने वाले शरणार्थियों की संख्या अब 67 लाख तक पहुँच चुकी है। युवा आबादी के देश छोड़ने से अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हुआ है।
यूएन एजेंसी ने जनसांख्यिकी की गहराती चुनौती से निपटने के लिए ऐसी रणनीतियों को अपनाने पर बल दिया है, जोकि मानव पूंजी को प्रोत्साहन देने व सामाजिक-आर्थिक सुधारों पर केन्द्रित हों।
पूर्वी योरोप व मध्य एशिया के लिए UNFPA की क्षेत्रीय निदेशक फ़्लोरेंस बाउर ने जिनीवा में बताया कि हिंसा के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, हज़ारों की मौत हो चुकी है।
उनके अनुसार, देश को मौजूदा संकट से उबारने के लिए मानव पूंजी बेहद आवश्यक है मगर इसमें गम्भीर पतन हो रहा है।
जनसांख्यिकी संकट
यूएन एजेंसी का कहना है कि युद्ध शुरू होने से पहले से ही, यूक्रेन व्यापक पैमाने पर जनसांख्यिकी चुनौतियों से जूझ रहा था. यहां प्रति महिला बाल दर एक पर है, जोकि योरोप में सबसे कम है.
योरोप के अन्य देशों की तुलना में कम जन्म दर होने के अलावा, यहाँ की आबादी बुज़ुर्ग हो रही है और बड़ी संख्या में लोग अवसरों की तलाश में अन्य देशों का रुख़ कर रहे हैं.
इसके जवाब में, यूक्रेन ने UNFPA के समर्थन से एक राष्ट्रीय जनसांख्यिकी रणनीति विकसित की है, जिसमें केवल बाल जन्म दर बढ़ाने के बजाय मानव पूंजी पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.
शान्ति की अहमियत
यूक्रेन सरकार का मानना है कि जनसांख्यिकी संकट के समाधान के लिए यह ज़रूरी है कि इसकी सामाजिक-आर्थिक वजहों से भी निपटा जाए.
इसके तहत, देखभाल व्यवस्था को लोगों तक पहुंचाना, स्वास्थ्य सेवा व शिक्षा के दायरे में विस्तार करना, और युवजन व परिवारों के लिए बेहतर जीवन के नए अवसर सृजित करना है.
इस रणनीति में स्वीडन जैसे देशों के अनुभवों से सबक़ लिया गया है, और इसमें लैंगिक समानता व कार्यस्थल पर परिवार-अनुकूल माहौल तैयार करने और समावेशी सामाजिक व आर्थिक नीतियों को अपनाने की पैरवी की गई है।
क्षेत्रीय निदेशक फ़्लोरेंस बाउर ने कहा कि जनसांख्यिकी संकट के समाधान की ओर जाने वाला रास्ता, इस बात पर भी निर्भर करेगा कि यूक्रेन में शान्ति कब लौटेगी. इसके बावजूद, देश को इस समस्या से उबारने के लिए नींव अभी तैयार की जा सकती है।
अब देखना है कि इस संकट को कितनी जल्दी से रोका जा सकता है और किस तरह से? इस नेक मकसद के लिए कौन कौन आगे आता है इसी से रचा जाएगा एक और नया इतिहास।
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